वास्ते हज़रत मुराद-ए- नेक नाम       इशक़ अपना दे मुझे रब्बुल इनाम      अपनी उलफ़त से अता कर सोज़ -ओ- साज़    अपने इरफ़ां के सिखा राज़ -ओ- नयाज़    फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हर घड़ी दरकार है फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हो तो बेड़ा पार है

 

 

हज़रत  मुहम्मद मुराद अली ख़ां रहमता अल्लाह अलैहि 

 

 हज़रत सय्यद शाह अब्दुल वहाब

 

रहमतुह अल्लाह अलैहि

 

किताब आईना तसव्वुफ़ में है कि हज़रत सय्यद शाह अब्दुल वहाब १४ रबी आलाख़र ६५७ हिज्री को बवक़्त इशा चार शंबा के दिन असफ़अन में पैदा हुए और १९ रमज़ान उल-मुबारक ६७७ हिज्री को दो शंबा के रोज़ निस्फ़ शब को हज़रत सय्यद शरफ़ उद्दीन क़िताल रहमतुह अल्लाह अलैहि से कोह तिब्बत पर ख़िलाफ़त हासिल की ।

हज़रत सय्यद शाह अब्दुल वहाब रहमतुह अल्लाह अलैहि १८ शाबान ७९९ हिज्री बरोज़ पंजशंबह को इस दार फ़ानी से रुख़स्त हुए। आप का मज़ार पर अनवार यमबवा में है।

नोट:। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के हालात-ए-ज़िंदगी बावजूद कोशिश के कहीं से नहीं मिल सके।क़दीम कुतुब में जो कुछ मिला मैंने लिख दिया। अगर किसी साहिब के पास हूँ तो "राबिता करें" को क्लिक करके हमारे साथ राबिता क़ायम करें और इस कार-ए-ख़ैर में हिस्सादार बने। या नीचे दिए गए ई मेल ऐडरैस पर राबिता करें।

इसरार-उल-हक़

Israr Ul Haq

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